SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 246
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 180... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में (ख) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 83 (ग) नित्यकर्म पूजा प्रकाश, पृ. 73 15. (क) उत्तानसन्धि-संलीन, बद्धांगुलि दलौ करौ। संमुखौ घटितौ दीर्घाङ्गुष्ठौ ग्रथितामुच्यते ॥ आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99 (ख) मुद्रा विज्ञान, ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 84 (ग) नित्य कर्म पूजा प्रकाश, पृ. 73 16. (क) सन्धितो/गुलि मिस्तादृशा दक्षिणेन तु। अधोमुखेन संयुक्त: संमुखोन्मुखमुच्यते।। __ आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99 (ख) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 84, 107 17. उत्तानोन्नतकोटी च प्रलम्ब: कथितौ करौ। आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99 18. (क) “मुष्टी चान्योन्यसंयुक्ता वृत्तानौ मुष्टिको भवेत्"। आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99 (ख) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 85 (ग) नित्य कर्म पूजा प्रकाश, पृ. 73 19. (क) मत्स्यस्तु संमुखी भूतौ, युक्तानामिकनिष्ठिको । ऊर्ध्वसंयुक्तवक्राग्रा, शेषांगुलिदलौ करौ॥ आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99 (ख) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 85 (ग) नित्य कर्म पूजा प्रकाश, पृ. 73 20. (क) अधोमुखः करो वामस्तादृशा दक्षिणेन तु । पृष्ठदेशे समाक्रान्तः, कूमों नामाभिधीयते ।। आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99 (ख) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 86 (ग) नित्यकर्म पूजा प्रकाश, पृ. 74 21. (क) ऊर्ध्वमध्ये वामभुजः, कक्षाभ्यामाश्रयेत्करे। वराहः कथ्यते कक्ष, समीपाश्रयके करे । आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99 (ख) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 86, 108 (ग) नित्य कर्म पूजा प्रकाश, पृ. 74
SR No.006255
Book TitleHindu Mudrao Ki Upayogita Chikitsa Aur Sadhna Ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy