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गायत्री जाप साधना एवं सन्ध्या कर्मादि में उपयोगी मुद्राओं......179
(ख) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 81
(ग) नित्यकर्म पूजा प्रकाश, पृ. 70 7. (क) आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99 __ (ख) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 81
(ग) नित्य कर्म पूजा प्रकाश, पृ. 70 8. (क) आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99
(ख) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 81
(ग) नित्य कर्म पूजा प्रकाश, पृ. 72 9. (क) आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99
(ख) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 82
(ग). नित्य कर्म पूजा प्रकाश, पृ. 72 10. (क) शेषांगुलीनां संयोगात, पूर्व संयोगनाशनम् ।
तिर्यक्संयुज्यमानायौ, संयुक्तांगुलि मण्डलौ। हस्तौ षण्मुखमित्युक्ता, मुद्रा मुद्राविशारदैः ।।
__ आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99 (ख) मुद्राविज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, प्र. 82 (ग) नित्यकर्म पूजा प्रकाश, पृ. 72 (क) आकुचिताग्रौ संयुक्तौ, न्युब्जौ हस्तवधोमुखम्। आह्निक प्रकाश,
पृ. 298-99 (ख) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 82
(ग) नित्य कर्म पूजा, प्रकाश, पृ. 72 12. (क) उत्तानौ तादृशावेव व्यापकाकुंचितौ करौ। आह्निकप्रकाश, प्र. 298-99
(ख) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 83
(ग) नित्य कर्म पूजा प्रकाश, पृ. 72 13. (क) अधोमुखौ बद्धमुष्टी, मुक्ताग्रांगुष्ठको करौ । शकटं नाम कथितं, यमपाशमतः परम् ।।
आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99 (ख) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, 83 14. (क) बद्धमुष्टिकयोः पाण्योरूत्ताना वामतर्जनी। कुंचिताग्रान्यया मुक्ता तर्जन्या न्युब्जवक्रया।।
आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99