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गायत्री जाप साधना एवं सन्ध्या कर्मादि में उपयोगी मुद्राओं......181 22. (क) सिंहक्रान्तं समाख्यातं, कर्णार्पित करावुभौ।
आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99 (ख) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 86, 108
(ग) नित्य कर्म पूजा प्रकाश, पृ. 74 23. (क) किंचितदाकुंचितायौ च महाक्रान्तं ततः परम्।
आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99 (ख) मुद्रा विज्ञान, केशवदेव, पृ. 108
(ग) नित्य कर्म पूजा प्रकाश, पृ. 74 24. (क) ऊर्ध्वं किंचिद् गतौ पाणी, मुद्गरो नाम तर्जनी। ग्रस्ता दक्षिणहस्तेनेत्याहु मुद्रा विशारदाः ।।
आह्निक प्रकाश, पृ. 298-99 (ख) मुद्रा विज्ञान, केशवदेव, पृ. 87, 108
(ग) नित्यकर्म पूजा प्रकाश, पृ. 74 25. (क) अधोमुखः स्थितो मूर्ध्नि, पल्लवो दक्षिण: करः।
आह्निकप्रकाश, पृ. 298-99 (ख) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 108
(ग) नित्य कर्म पूजा प्रकाश, पृ. 74 26. मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 43 27. वही, पृ. 22 28. वही, पृ. 27, 108 29. वही, पृ. 89, 108 30. (क) वही, पृ. 89, 108
(ख) नित्यकर्म पूजा प्रकाश, पृ. 77 31. (क) मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 89, 108
(ख) नित्य कर्म पूजा प्रकाश, पृ. 77 32. मुद्रा विज्ञान ए वे ऑफ लाईफ, पृ. 60, 90, 108 33. (क) वही, पृ. 90, 108
(ख) नित्यकर्मपूजा प्रकाश, पृ. 77