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गायत्री जाप साधना एवं सन्ध्या कर्मादि में उपयोगी मुद्राओं......151
जब हम किसी को विश्वास दिलाते हैं अथवा किसी सत्य का समर्थन करते हैं तो इस प्रकार की मुद्रा सहज निर्मित होती है।
इस मुद्रा के माध्यम से इष्ट के प्रति दृढ़ संकल्प एवं विश्वास जागृत किया जाता है।
योग तत्त्व मुद्रा विज्ञान से सम्बन्धित गायत्री मुद्राओं में से यह एक मुद्रा है। यह रोग शमन में विशेष रूप से Cancer में लाभदायी है। __इसे शुद्धता और उदारता का परिचायक माना गया है। यह जापान में 'गेबुक केन इन' के नाम से जानी जाती है। विधि
दोनों हाथों की अंगलियों को एक-दूसरे में इस तरह ग्रथित करते हए रखें कि वे हाथ के पृष्ठ भाग पर फैली हुई रह सकें तथा दाहिने अंगूठे को बायें अंगूठे पर क्रोस करते हुए रखने पर ग्रथित मुद्रा बनती है।
यह मुद्रा छाती के अग्रभाग पर धारण की जाती है।15
प्रथितम् मुद्रा