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गायत्री जाप साधना एवं सन्ध्या कर्मादि में उपयोगी मुद्राओं... ...149
• इस मुद्रा के प्रयोग से मानसिक शान्ति एवं एकाग्रता को प्राप्त किया जा सकता है। 13. यमपाशम् मुद्रा
यम और पाश इन दो शब्दों के संयोग से यमपाशम् शब्द निष्पन्न है।
यम शब्द से अनेक अर्थों का बोध होता है। भारतीय आर्य परम्परा में यम, दक्षिण दिशा के दिक्पाल (दिशारक्षक) देव हैं। वैदिक काल में इसे देवता, ऋषि
और मंत्रकर्ता माना जाता था। इन्द्रिय-मन को वश में रखना यम कहलाता है। मनु के अनुसार नित्य पालन योग्य कर्त्तव्य यम कहलाते हैं।
यमपाशम् मुद्रा पंतजली के अष्टांग योग में प्रथम यम योग का उल्लेख आता है। यम कालसूचक भी है पाश शब्द बंधन सूचक है। इस वर्णन के आधार पर यमपाश के दो अभिप्राय होते हैं- प्रथम अर्थ की अपेक्षा साधारण मानव जन्म-मृत्यु के बंधन में जकड़ा हआ है उससे मुक्त होने की प्रार्थना स्वरूप यह मुद्रा की जाती है। द्वितीय अर्थ के अनुसार जो नित्य पालन एवं धारण करने योग्य यम-नियम