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144... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
षष्ठमुखम् मुद्रा
लाभ
• इस मुद्रा को करने से शरीर का जल तत्व संतुलित रहता है । यह मुद्रा रक्तविकार, शरीर का रूखापन आदि दूर कर जल तत्त्व की आपूर्ति करती है। • स्वाधिष्ठान चक्र जो कि पेडु के पास स्थित है, तन्त्र ग्रन्थों के अनुसार इसके ध्यान से सृजन, पालन और निधन में समर्थता और जिह्वा पर सरस्वती का वास होता है।
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एक्युप्रेशर पद्धति के अनुसार यह मस्तिष्क एवं ज्ञानेन्द्रिय सम्बन्धी रोगों का उपचार करते हुए बौद्धिक क्षमता का वर्धन करती है तथा इससे बेहोशीपन दूर होता है।
• इस मुद्रा के द्वारा शारीरिक प्रभाव का आकर्षण बढ़ता है। 10. अधोमुखम् मुद्रा
अधोमुख के शाब्दिक अर्थ हैं अधोमुख किया हुआ, औंधा, उल्टा आदि । निम्न चित्र के अनुसार इस मुद्रा में हाथों की स्थिति उल्टी रहती है अतः इसे अधोमुख मुद्रा कहते हैं।