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142... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में 8. पंचमुखम् मुद्रा
पांच मुखवाला पंचमुखी कहलाता है।
एक प्रकार का रूद्राक्ष जिसमें पांच लकीरें होती है पंचमुखी कहा जाता है। शिव, गणेश और हनुमान के अनेक नामों में इनका एक नाम पंचमुख है। पार्वती को पंचमुखी कहा गया है।
पार्वती दुर्गा का एक रूप है और गायत्री का एक अर्थ दुर्गा होता है। इस आधार पर अनुमान किया जाता है कि यह मुद्रा पंचमुखी देव अथवा देवी को प्रसन्न करने एवं उसकी आराधना से संबंधित है। ___ यौगिक परम्परा में यह मुद्रा श्रद्धालु भक्तों द्वारा धारण की जाती है। इसे रोग शमन में विशेष उपयोगी माना गया है।
MOMPU
HAVI
पंचमुखम् मुद्रा विधि
दोनों हथेलियों को पूर्ववत शरीर के मध्यभाग में, कमर के समस्तर पर धारण करें। तदनन्तर अंगुलियों को भूमि से समानान्तर सामने की तरफ अलगअलग फैलाते हुए रखें।