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122... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
38. डमरू मुद्रा
ईषदुच्छ्रितमध्यमाम् ।
मुष्टिं त्वमिलितां बध्वा, दक्षिणामुर्ध्वमुन्नम्य, कण्ठ देशे प्रचालयेत् । सर्वविघ्नविनाशिनी ।
एषा मुद्रा डामरूका,
वही,
पृ.468 देखिए, शारदातिलक 20/53 की टीका
39. परशु मुद्रा
तले तलं तु करयोः, तिर्यक् संयोज्य चांगुली । संह (ता:) प्रसृताः कुर्यात्, मुद्रेयं परशोर्मता ।।
40. मृग मुद्रा
वही, पृ. 468 देखिए, शारदातिलक 18/13 की टीका
मिलितानामिकांगुष्ठ, मध्यमाग्राणि योजयेत् । शिष्टांगुल्युच्छ्रिते, कुर्यान्न, मृगमुद्रेयमीरिता ।।
देखिए, शारदातिलक 18/13 की टीका
41. खट्वांग मुद्रा
शिव के एक अस्त्र का नाम खट्वांग है। तंत्र के अनुसार इस मुद्रा को देखकर देवता बहुत प्रसन्न होते हैं।
यह मुद्रा शिव अस्त्र से सम्बन्धित अथवा तन्त्र से सन्दर्भित होनी चाहिये । मूल पाठ के अनुसार यह मुद्रा सभी पापों का नाश करने हेतु की जाती है। पंचांगुल्यो दक्षिणस्य, मिलिता उन्नतास्तथा । खट्वांगमुद्रा
विख्याता,
सर्वपापप्रणाशिनी ।
वही, पृ.468 दाहिने हाथ की सभी अंगुलियों को मिलाकर ऊपर उठाना खट्वांग मुद्रा है। 42. कापाली मुद्रा
कापाली मुद्रा से यहाँ अभिप्राय मुंडमाला धारण किये हुए देवी-देवताओं जैसे काली देवी आदि अथवा शिव से होना चाहिये ।