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116... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में 22. त्रैलोक्य मोहिनी मुद्रा मूर्य्यांगुष्ठमुष्टी द्वे मुद्रा त्रैलोक्यमोहिनी ।।
__वही, पृ. 465
देखिये, शारदातिलक 17/120 की टीका 23. दुर्गा मुद्रा
मुष्टिं बद्धा कराभ्यां च, वामस्योपरि दक्षिणम् । कृत्वा शिरसि संयोज्य, दुर्गामुद्रेयमीरिता ।।
___ वही, पृ. 465
देखिये, शारदातिलक 11/5 की टीका 24. गरुड़ मुद्रा
हस्तौ तु विमुखौ कृत्वा, ग्रन्थ (थ) यित्वा कनिष्ठिके। मुखं तनिके श्लिष्टे, श्लिष्टावंगुष्ठिको तथा ।। मध्यमानामिके द्वे तु, द्वौ पक्षाविह चिन्तयेत् । एषा गारुड़ मुद्रा, स्यादशेषविषनाशिनी ।।
वही, पृ. 465
देखिये, शारदातिलक 4/49 की टीका 26. गदा मुद्रा
अन्योन्याभिमुखौ हस्तौ, कृत्वा तु ग्रथितांगुली। अंगुल्यौ मध्यमे भूयः, संलग्ने सुप्रसारिते ।। गदामुद्रेयमाख्याता परा, मुक्तिकरी तथा ।
वही, पृ. 466
देखिए, शारदातिलक 15/7-10की टीका। 27. अब्ज मुद्रा
करौ तु सम्मुखौ कृत्वा, सम्मुखादुन्नतांगुली। तलान्तर्मिलितांगुष्ठी, कूर्यादेषाब्जमुद्रिका ।।
वही, पृ. 466 देखिए, शारदातिलक 14/36 की टीका।