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शारदातिलक, प्रपंचसार आदि पूर्ववर्ती ग्रन्थों में उल्लिखित ......95
दोनों हाथों को एक-दूसरे के अभिमुख कर अंगुलियों को ग्रथित करें। फिर दोनों मध्यमाओं को परस्पर सम्मिलित कर सामने की ओर फैला देने पर गदा मुद्रा बनती है।46
गदा मुद्रा
लाभ
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं अनाहत चक्र तत्त्व- जल एवं वायु तत्त्व ग्रन्थिप्रजनन एवं थायमस ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य एवं आनंद केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, हृदय, फेफड़ें, भुजाएँ, रक्त संचरण प्रणाली। 22. श्रीवत्स मुद्रा
विष्णु का एक नाम श्रीवत्स है। विष्णु के वक्षःस्थल पर अंगुष्ठ प्रमाण श्वेत बालों का दक्षिणावर्त्त चिह्न भी श्रीवत्स कहलाता है। इन अर्थों के अनुसार यह मुद्रा विष्णु की सूचक है।47