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शारदातिलक, प्रपंचसार आदि पूर्ववर्ती ग्रन्थों में उल्लिखित
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दुर्गा मुद्रा
ग्रन्थि - एड्रीनल, पैन्क्रियाज, प्रजनन, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड ग्रन्थि केन्द्र - तैजस, स्वास्थ्य एवं विशुद्धि केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, स्वर तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें, मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, नाक, कान, गला, मुँह आदि ।
15. गणपति मुद्रा
यह मुद्रा गणपति की पूजा अथवा उस देव को प्रसन्न करने के मनोभाव से की जाती है। यह गणपति के स्वरूप की सूचक भी हो सकती है।
इस मुद्रा का प्रयोग करने से समस्त प्रकार की सिद्धियाँ हासिल होती है।
विधि
मुखात्प्रलम्बितं हस्तं कृत्वा संकुचितांगुलिम् । मध्या तर्जनिगताग्रांगुष्ठं, चाधः स्थमध्यमम् । कुर्य्यानमुद्रा गणेशस्य प्रोक्तेयं सर्व्वसिद्धिदा । ।