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86... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
पुस्तक मुद्रा
विधि
वाममुष्टिः स्वाभिमुखी बद्ध्वा पुस्तकमुद्रिका। बायें हाथ की अंगुलियों को स्वयं के अभिमुख मुट्ठी रूप में बांध देना पुस्तक मुद्रा है।34 लाभ
चक्र- मूलाधार एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थिप्रजनन एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंगमेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव, निचला मस्तिष्क, स्नायु तंत्र। 11. व्याख्यान मुद्रा
जिस मुद्रा में संस्थित होकर प्रवचन दिया जाता है उसे व्याख्यान मुद्रा कहा गया है। विधि
श्लिष्टाग्रेङ्गुष्ठतर्जन्यौ, प्रसार्यान्याः प्रदर्धयेत् । प्रयोज्याभिमुखं सैषा, मुद्रा व्याख्यान संज्ञिता ।।