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78... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
लाभ
चक्र- आज्ञा चक्र तत्त्व- आकाश तत्त्व ग्रन्थि- पीयूष ग्रन्थि केन्द्रदर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- निचला मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्र। 7. अवगुण्ठनी मुद्रा ___ आच्छादन करना अथवा ढकना अवगुण्ठन कहलाता है।18 इस मुद्रा में दुष्ट शक्तियों से बचाव करने हेतु प्रतिमा को आत्मशक्ति से आच्छादित किया जाता है अत: इसका नाम अवगुण्ठन मुद्रा है। विधि
सव्यहस्तकृता मुष्टि, र्दीर्घाऽधोमुखतर्जनी।
अवगुण्ठनमुद्रेय, मभितो भ्रामिता सती ।। दोनों हाथों को मुट्ठी रूप में बनाकर और तर्जनी को अधोमुख करते हुए प्रतिमा के चारों ओर घुमाना अवगुण्ठनी मुद्रा है।19
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अवगुण्ठनी मुद्रा लाभ
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं मूलाधार चक्र तत्त्व- जल एवं पृथ्वी तत्त्व ग्रन्थि- प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य एवं शक्ति केन्द्र विशेष प्रभावित अंगमेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव, मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग।