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हिन्दू परम्परा सम्बन्धी विविध कार्यों हेतु प्रयुक्त मुद्राओं... ...57
विधि
इस मुद्रा में हथेली को अधोमुख एवं अंगुलियों को प्रसारित कर हाथ को कुर्सी या किसी सतह पर रखते हैं इसलिए यह निद्रातहस्त मुद्रा कहलाती है। 28
निद्रातहस्त मुद्रा
चक्र
मणिपुर एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- अग्नि एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थि - एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं पिनियल ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं ज्योति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें, आँख, ऊपरी मस्तिष्क ।
लाभ
24. पद्म मुद्रा
हिन्दू परम्परा की यह संयुक्त मुद्रा खिलते हुए कमल की सूचक है। इसमें हाथों को छाती के स्तर तक उठाया जाता है।