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48... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
विधि
दोनों हथेलियों को फैलाकर उन्हें भुजाओं के ऊपर ले जायें तथा दायां हाथ बायें हाथ को Cross करता हुआ रहने पर हस्त स्वस्तिक मुद्रा बनती है। 19
हस्त स्वस्तिक मुद्रा
चक्र
मणिपुर एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- अग्नि एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थि - एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं पिनियल ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं ज्योति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें, आँख, मस्तिष्क ।
16. कपित्थ मुद्रा
कपित्थ शब्द कठबेल वृक्ष का सूचक है । हिन्दू परम्परा में यह मुद्रा देवी - देवताओं के द्वारा धारण की जाती है। इस मुद्रा के द्वारा धूप खेने या कठबेल नामक फल चढ़ाने के भाव दर्शाये जाते हैं।
यह कश्यप मुद्रा के समान है।
लाभ