________________
हिन्दू परम्परा सम्बन्धी विविध कार्यों हेतु प्रयुक्त मुद्राओं... ...49
विधि
बायें हाथ को मुट्ठि रूप में बांधकर अंगूठे को तर्जनी और मध्यमा के बीच प्रविष्ट करवाने पर कपित्थ मुद्रा बनती है | 20
कपित्थ मुद्रा
चक्र- अनाहत एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- वायु एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थि - थायमस एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र - आनंद एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- हृदय, फेफड़ें, भुजाएं, रक्त संचरण प्रणाली, स्नायु तंत्र एवं निचला मस्तिष्क ।
लाभ
17 कश्यप मुद्रा
कश्यप नाम के एक वैदिक ऋषि हुए हैं। कछुआ अथवा एक प्रकार की मछली को भी कश्यप कहा जाता है।
हिन्दू परम्परा की यह मुद्रा लिंग और योनि की सूचक मुद्रा है। यह मुख्यतया बायें हाथ से की जाती है।