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हिन्दू परम्परा सम्बन्धी विविध कार्यों हेतु प्रयुक्त मुद्राओं... ...47
हरिण मुद्रा
लाभ
चक्र - मणिपुर, अनाहत एवं आज्ञा चक्र तत्त्व - वायु, अग्नि एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थि - एड्रीनल, पैन्क्रियाज, थायमस, पीयूष ग्रन्थि केन्द्रतैजस, आनंद एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, स्नायु तंत्र, रक्त संचरण तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें, हृदय, फेफड़ें, भुजाएं, निचला मस्तिष्क ।
15 हस्त स्वस्तिक मुद्रा
यह मुद्रा हिन्दू परम्परा में उच्च देवी - देवताओं को वश में करने, आत्म समर्पण करने एवं अपरिहार्य को स्वीकार करने की सूचक है। इसे दोनों हाथों से धारण करते हैं।
यह मुद्रा स्वस्तिक के जैसी भासित होती है अतः इसका नाम हस्त स्वस्तिक मुद्रा है।