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40... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में द्वितीय प्रकार
दायी हथेली को सामने की तरफ अभिमुख कर अंगूठा और तर्जनी के अग्रभाग को संयुक्त करें तथा शेष तीन अंगुलियों को नीचे की तरफ फैलाने पर चिन् मुद्रा का दूसरा प्रकार बनता है।11
चिन् मुद्रा-2 9. दंड मुद्रा
हिन्दू परम्परा में स्वीकृत यह मुद्रा अनुशासन करने एवं दंड देने के सामर्थ्य और क्षमता की सूचक है। यह मुद्रा गजहस्त मुद्रा के समान तथा चपेटदान मुद्रा से मिलती जुलती है। ___ इसमें पूर्ण हाथ का उपयोग होता है। विधि
बायां कंधा और बायें हाथ को बिल्कुल सीधा रखे, दायें हाथ को शरीर के आगे सीधा रखते हुए हथेली को अधोमुख रखने पर दंड मुद्रा बनती है।
इसमें दाहिना हाथ कंधा या कमर से समानान्तर होगा।12