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हिन्दू परम्परा सम्बन्धी विविध कार्यों हेतु प्रयुक्त मुद्राओं... ...35
दर्शाये चित्र के अनुसार यह मुद्रा चन्द्र की कलाओं, हाथी दाँत अथवा भगवान शिव की सूचक है। इसका एक प्रकार नाट्य मुद्रा सम्बन्धी भी है। विधि
दायीं हथेली को सामने की ओर करते हुए अंगूठा और कनिष्ठिका को बाहर की तरफ फैलायें तथा शेष अंगुलियों को हथेली के भीतर मोड़ने पर चन्द्रकला मुद्रा बनती है। "
चन्द्रकला मुद्रा
लाभ
चक्र - मणिपुर एवं मूलाधार चक्र तत्त्व- अग्नि एवं पृथ्वी तत्त्व ग्रन्थि - एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं शक्ति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - पाचन संस्थान, नाड़ी संस्थान, यकृत, तिल्ली, आँतें, मेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव।
6. चतुरहस्त मुद्रा इस मुद्रा 'के द्वारा चातुर्य गुण को प्रदर्शित किया जाता है अत: इसका नाम चतुरहस्त मुद्रा है। हिन्दू परम्परा में अधिक प्रचलित यह मुद्रा एक हाथ से की