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34... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
इस अंजलि मुद्रा के प्रकारान्तर दोनों में हाथों की मुद्रा समान होती है। विधि
दोनों हथेलियों के बीच में अंतर रखते हुए अंगलियों को आगे की ओर फैलायें, अंगूठों के अग्रभाग को अनामिका के अंतिम पोर से स्पर्शित करवायें तथा कनिष्ठिका की ऊपरी बाह्य किनारी और हथेलियों की बाह्य किनारियों को जोड़ने पर आवाहन मुद्रा बनती है।
आवाहन मुद्रा
लाभ
चक्र- मणिपुर एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- अग्नि एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थिएड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, स्नायु तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें, निचला मस्तिष्क। 5. चन्द्रकला मुद्रा
यह मुद्रा मुख्यतया हिन्दू परंपरा में अधिक प्रचलित है और यह देवताओं आदि के द्वारा या उनके लिए धारण की जाती है।