________________
282... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा 35. दण्ड मुद्रा
इस मुद्रा के द्वारा दाहिना हाथ दण्ड जैसी आकृति से युक्त दिखता है। अत: इसका नाम दण्ड मुद्रा है।
यह मुद्रा दिखाने से कुक्कुर जाति का भय समाप्त हो जाता है क्योंकि श्वापदों के लिए यह विरोधी शस्त्र के समान है।
इस तरह दण्ड मुद्रा श्वापद सम्बन्धी भय को दूर करने एवं क्षेत्रपाल दोष का निवारण करने के उद्देश्य से की जाती है। इसका बीज मन्त्र 'त' है।
.
विधि
दण्ड मुद्रा - "दक्षिण हस्तेन मुष्टिं बद्ध्वा तर्जनी प्रसारयेदिति दण्ड मुद्रा।"
दायें हाथ की मुट्ठी बांधते हुए तर्जनी को प्रसारित करने पर दण्ड मुद्रा बनती है। सुपरिणाम
चक्र- विशुद्धि एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- वायु एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थिथायरॉइड, पेराथायरॉइड एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- विशुद्धि एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- कान, नाक, गला, मुँह, स्वरयंत्र, स्नायु तंत्र एवं निचला मस्तिष्क।