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262... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
• शारीरिक समस्याएँ जैसे कि खून की कमी, बिस्तर गीला होना, हर्निया, दाद-खुजली, आर्थाराइटिस, मधुमेह, पाचन, गर्भाशय, त्वचा आदि के विकारों में यह मुद्रा लाभदायी है।
• अग्नि एवं जल तत्त्व को संतुलित करते हुए यह मुद्रा मनोविकारों का शमन करती है।
• एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन ग्रंथियों के स्राव को संतुलित करते हुए यह मुद्रा शरीर को सभी प्रकार के रोगों एवं एलर्जी से बचाती है। साधक को साहसी, निर्भयी, सहनशील, आशावादी एवं तनावमुक्त बनाती है। कामेच्छाओं पर नियंत्रण करती है। 20 शक्ति मुद्रा
इस मुद्रा को बनाते वक्त दोनों हाथों की पूर्ण शक्ति का उपयोग किया जाता है, अत: इसका नाम शक्ति मुद्रा है।
शक्ति मुद्रा