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मुद्रा प्रकरण एवं मुद्राविधि में वर्णित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ...261 इस मुद्रा का बीज 'क' है।
तोरण मुद्रा विधि
"हस्तद्वयमध्यमाद्वयं तोरणवत्संयोज्य हस्तद्वय तर्जन्यौ तदुपरि वक्रीकृत्य तर्जनीद्वयमूले संयुक्तांगुष्ठ द्वयस्य कुंभिकाकार करणे तोरण मुद्रा।"
दोनों हाथों की दोनों मध्यमाओं को तोरण के समान संयोजित कर दोनों तर्जनियों को उसके ऊपर वक्री (कुछ टेढ़ी) रखें तत्पश्चात दोनों तर्जनी के मूल भाग में दोनों अंगूठों को संयुक्त कर कुंभिका आकार में करने पर तोरण मुद्रा बनती है। सुपरिणाम
• चक्र चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार तोरण मुद्रा का प्रयोग करने से मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र सक्रिय होते हैं। इनके जागरण से प्रतिकूलता, तनाव एवं विपरीत परिस्थितियों में रहने की शक्ति प्राप्त होती है।