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242... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
उपलब्ध प्रति के अनुसार सिंह मुद्रा, वर्धमान विद्या की जाप साधना निमित्त और चौबीसवें तीर्थंकर श्री वर्धमान स्वामी की मूर्ति प्रतिष्ठा के अवसर पर करते हैं। __इस मुद्रा का बीजमन्त्र 'अ' है। विधि
"तर्जनी अनामिकयोः पश्चादाकुञ्चने सिंह मुद्रा।"
तर्जनी अंगुली के द्वारा अनामिका अंगुली के पृष्ठ भाग को आकुञ्चित करने पर सिंह मुद्रा बनती है।
सिंह मुद्रा सुपरिणाम
• सिंह मुद्रा को धारण करके मणिपुर एवं विशुद्धि चक्र को जागृत किया जा सकता है। यह मुद्रा व्यवहार नियंत्रण, आत्मविश्वास, अध्यात्म एवं अनुशासन में वृद्धि करती है। इससे प्रेम, करुणा, भक्ति, मैत्री आदि पवित्र भावनाओं का जागरण होता है।