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98... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
• इससे मणिपुर एवं मूलाधार चक्र सक्रिय बनते हैं। यह मुद्रा भावनात्मक स्तर पर क्रोध, पागलपन, घृणा, अनियंत्रण, अस्थिरता, अविश्वास, आलस्य, आत्महत्या आदि के भावों को कम करते हुए आन्तरिक ऊर्जा को जागृत एवं ऊर्ध्वारोहित करती है।
विशेष
एक्यूप्रेशर सिद्धान्त के अनुसार इस मुद्रा के दाब केन्द्र बिन्दु शरीर में ऊर्जा और तरल पदार्थों के संचार को सुधारते हैं तथा वात एवं कफ को निकालते हैं।
• इस मुद्राभ्यास से भय के कारण अकड़न, दौरा पड़ना, कंपन, हाथपैर में भारीपन, श्वास की तकलीफ, मांसपेशी में दर्द, भूख कम लगना, कफ में दुर्गन्ध, गले में सूजन आदि से राहत मिलती हैं।
• गदा मुद्रा के दाब बिन्दु मुख से गर्दन तक के सभी रोगों के उपचार में लाभकारी हैं।
• यह मल क्रिया को सुचारु रूप से करने में मदद करती है।
• एड्रिनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन ग्रंथियों के स्राव को संतुलित कर यह मुद्रा रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति का विकास एवं बालकों में सद्गुणों का निर्माण कर आत्मविश्वास जागृत करती है।
32. घण्टा मुद्रा
पीतल अथवा कांसा से निर्मित एक पूजोपकरण घण्टा कहलाता है । भारतीय परम्परा में घण्टानाद को अत्यधिक महत्त्व दिया गया है। प्राचीन ऋषियों ने इस नाद के रहस्यों को अनुभूत किया था। आधुनिक वैज्ञानिक भी नादानुसन्धान में वर्षों से प्रयासरत हैं। उन्होंने प्रैक्टिकल प्रयोगों के आधार पर सप्रमाण सिद्ध किया है कि घण्टानाद से विशिष्ट प्रकार की तरंगें प्रवाहित होती हैं जिससे कई तरह के असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं।
प्रायः सभी मन्दिरों में घण्टा अवश्य होता है। दर्शनार्थी आते वक्त अथवा दर्शन के पश्चात लौटते वक्त घण्टानाद करते हुए अपूर्व आनन्द का अनुभव करते हैं। इससे स्पष्ट है कि घण्टानाद की ध्वनि आत्मिक सुख प्रदान करती है।