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94... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा हैं। जैसे मूलाधार चक्र चार कमलदलवाला है, स्वाधिष्ठान चक्र षट्दल से युक्त है, अनाहत चक्र ऊर्ध्वमुख द्वादशदलवाला है, मणिपुर चक्र दशदल से संयुक्त है। इस तथ्य को चित्रों के द्वारा भली भाँति समझ सकते हैं। प्रतीकात्मक रूप से यह मुद्रा सप्तचक्रीय पद्मों को प्रभावित करती है। इस तरह पद्म मद्रा से अनेक प्रयोजन सिद्ध होते हैं।
पन्न मुद्रा विधि
"पद्माकारौ करौ कृत्वा मध्येऽङ्गुष्ठौ कर्णिकाकारौ विन्यसेदिति पद्ममुद्रा।"
अर्थात दोनों हाथों को कमल के आकार का बनाकर उसके मध्य भाग में दोनों अंगूठों को कर्णिका (कमल पर फल) की तरह स्थापित करने पर पद्म मुद्रा बनती है।