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50... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा
सम्यक्त्वी देवी-देवताओं को आमन्त्रित आदि करने में प्रयुक्त मुद्राएँ 9. महामुद्रा
इस महामुद्रा का अभिप्राय विशिष्ट मुद्रा से है। यहाँ महा शब्द महानता, अधिकता, विशिष्टता के अर्थ में है। इस मुद्रा की परिभाषा के अनुसार साधक दोनों हाथों से अपने सर्वांग का स्पर्श करता है । यह मुद्रा देवी-देवताओं को आमन्त्रित करने के प्रयोजन से दिखाई जाती है। यहाँ प्रश्न होता है कि सर्वांग स्पर्श द्वारा देवों को किस प्रकार आमन्त्रित किया जाता है ? सांकेतिक अर्थ के अनुसार कहा जा सकता है कि साधक सर्वांग का स्पर्श करते हुए यह भाव अभिव्यंजित करता है कि हम आपको साष्टांग प्रणाम एवं सर्वात्मना भावपूर्वक आमन्त्रित कर रहे हैं। प्रतीकात्मक दृष्टि से माना जा सकता है कि इसमें ऊपरी हिस्से के सभी अंग झुकते हैं जो विनयभाव को सूचित करता है। इसे मुद्रा का आन्तरिक स्वरूप कह सकते हैं।
इस तरह महामुद्रा के द्वारा सर्वात्मना समर्पण और लघुता भाव प्रदर्शित किया जाता है।
महा मुद्रा