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32... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन डोल मुद्रा 9. पुष्पपुट मुद्रा 10. मकर मुद्रा 11. गजदन्त मुद्रा 12. अवहित्थ मुद्रा 13. वर्धमान मुद्रा। नृत्तहस्त मुद्राएँ ___नाट्य में अंग-प्रत्यंग का सौन्दर्य अभिव्यक्त करने में नृत्तहस्तों की विशेष भूमिका होती है, क्योंकि नृत्तहस्तों द्वारा अभिनय करने से नृत्य सौदर्य में अभिवृद्धि होती है इसलिए नृत्यहस्त मुद्राओं को नृत्य का अलंकार माना गया है। नाट्य शास्त्र में नृत्तहस्त मुद्राएँ तीस प्रकार की वर्णित है 3
1. चतुरस्र मुद्रा 2. उद्वृत्त मुद्रा 3. तलमुख मुद्रा 4. स्वस्तिक मुद्रा 5. विप्रकीर्ण मुद्रा 6. अराल मुद्रा 7. खटकामुख मुद्रा 8. आविद्धवक्र मुद्रा 9. सूचीमुख मुद्रा 10 रेचित मुद्रा 11. अर्धरेचित मुद्रा 12. उत्तानवंचित मुद्रा 13. पल्लव मुद्रा 14. नितम्ब मुद्रा 15. केशबन्ध मुद्रा 16. लताहस्त मुद्रा 17. करिहस्त मुद्रा 18. पक्षवंचित मुद्रा 19. पक्षप्रद्योतक मुद्रा 20. गरूड़पक्ष मुद्रा 21. दण्डपक्ष मुद्रा 22. उर्ध्वमण्डलिन् मुद्रा 23. पार्श्वमण्डलिन् 24. उरोमण्डली मुद्रा 25. मुष्टिस्वस्तिक मुद्रा 26. नलिनी पद्मकोश मुद्रा 27. अलपल्लव मुद्रा 28. उल्वण मुद्रा 29. ललित मुद्रा 30. वलित मुद्रा ____ इस तरह नाट्य शास्त्र में 24 असंयुक्त हस्त मुद्राएँ, 13 संयुक्त हस्त मुद्राएँ और 30 नृत्तहस्त मुद्राएँ ऐसे कुल 67 हस्तमुद्राओं का उल्लेख प्राप्त होता है।
नाट्य शास्त्र से सम्बन्धित उपरोक्त मुद्राओं का सामान्य परिचय निम्नलिखित है
असंयुक्त हस्त की 24 मुद्राएँ 1. पताका मुद्रा
पताका शब्द के कई अर्थ हैं जैसे कि ध्वजा, झंडा, लकड़ी आदि। डंडे के एक सिरे पर पहनाया हुआ तिकोना या चौकोना कपड़ा, जिस पर किसी राजा, संस्था या देश का खास चिह्न होता है आदि। ।
साधारणतया पताका मंगल या शोभा की प्रतीक मानी गई है। युद्धयात्रा, मंगल यात्रा आदि में भी इसका प्रयोग होता है। मंदिरों के शिखर पर भी पताकाएँ फहराई जाती है जो कि अधर्म पर धर्म के विजय की प्रतीक हैं।
नाट्यकला में यह मुद्रा किसी पात्र के चिंतागत भाव, विषय का समर्थन या पोषण आगंतुक भाव से हो सके, उस सन्दर्भ में की जाती है।