SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 377
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शिल्पकला एवं मूर्तिकला में प्राप्त हस्त मुद्राएँ......311 नटराज मन्दिर में शिव की मूर्तियों तथा गोपुर पर आकृतियों में भी बहुसंख्यक नृत्तहस्त मुद्राएँ देखी जा सकती है। (देखें, पृ. 274-78) 'धर्मशास्त्र का इतिहास' इसके अन्तर्गत पी.वी. काणे ने कलात्मक मुद्राओं का विवेचन करते हुए बर्गेस द्वारा कथित कुछ बौद्ध परम्परा की मुद्राओं का उल्लेख किया है तथा शिल्प में उनकी पहचान के संकेत भी दिये हैं31. भूमिस्पृश या भूमिस्पर्श मुद्रा बौद्ध परम्परा में इसका अंकन बुद्ध द्वारा पृथ्वी का स्पर्श कर प्रतिज्ञा लेने के रूप में किया गया है। 2. धर्मचक्र मुद्रा बुद्ध द्वारा उपदेश की मुद्रा। 3. अभय मुद्रा आशीर्वाद दान की मुद्रा । इसमें वक्षस्थल के सामने उठे हुए दाहिने हाथ का अंगूठा एवं अंगुलियाँ आधी फैली हुई और हथेली सामने की तरफ रहती है। 4. ज्ञान मुद्रा पद्मासनस्थ या ध्यानस्थ मुद्रा।' 5. वर/वरद मुद्रा इसमें दायाँ हाथ घुटने पर झुका हुआ एवं हथेली सामने की तरफ रहती है मानो दान की मुद्रा हो। 6. ललित मुद्रा __मोहक मुद्रा 7. तर्क मुद्रा दायां हाथ वक्षस्थल की ओर उठा हुआ और थोड़ा सा आकुंचित होता है।10 8. शरण मुद्रा आश्रय या रक्षा मुद्रा।11
SR No.006253
Book TitleNatya Mudrao Ka Manovaigyanik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy