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________________ 306... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन कटकहस्त-सिंहकर्णहस्त मुद्रा देखें, फलक 5, चित्र 7-8 गोपीनाथ राव ने इन मुद्राओं को मूर्तियों में पहचान कर बताया है तथा इन मुद्राओं की विधि नाट्यशास्त्र के समान हैं। सूचीहस्त मुद्रा देखें, फलक 5, चित्र 9, साधनमाला तंत्र में मारीची देवी की मुद्रा। प्रस्तुत मुद्रा में तर्जनी अंगुली नीचे की ओर रहती है। तर्जनी हस्त मुद्रा देखें, फलक 5, चित्र 10 तर्जनी मुद्रा में तर्जनी अंगुली ऊपर की ओर उठी रहती है। कट्यावलंबित हस्त मुद्रा देखें, फलक 5, चित्र 11 इस मुद्रा में हाथ कमर पर रहता है। इसे मूर्ति शिल्प में पहचान कर कट्यवलंबित हस्त मुद्रा कहा गया है। दण्डहस्त या गजहस्त मुद्रा देखें, फलक 5, चित्र 12. गोपीनाथ राव ने इस मुद्रा को शिव की नृत्य मूर्ति में पहचाना है और बताया है कि हाथ को सामने की तरफ सीधा फैलाकर कलाई से नीचे की तरफ कर देने पर दण्डहस्त या गजहस्त मुद्रा बनती है। अंजलिहस्त मुद्रा देखें पृष्ठ16 दोनों हाथों को सटाकर सीने के पास स्थित रखने पर जो मुद्रा बनती है उसे अंजलि मुद्रा के रूप में पहचाना गया है। इस मुद्रा में पूजा या प्रार्थना का भाव रहता है। विस्मयहस्त मुद्रा देखें, फलक 5, चित्र 13-14 जिसमें ऊपर की ओर उठे हुए हाथ की अंगुलियाँ सीधी रहती है और
SR No.006253
Book TitleNatya Mudrao Ka Manovaigyanik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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