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292... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
अवतार सम्बन्धी मुद्राएँ हिन्दू परम्परा में भगवान विष्णु के 10 अवतार माने जाते हैं. उससे सम्बन्धित मुद्राएँ इस प्रकार है1. बलरामावतार मुद्रा ___ यह मुद्रा अपने नाम के अनुरूप कृष्ण के ज्येष्ठ भ्राता बलराम की सूचक है। भगवान विष्णु ने दस अवतारों में से एक अवतार बलराम के रूप में प्राप्त किया था। यह मुद्रा उसी व्यक्तित्व को दर्शाती है। विधि ___ दायीं हथेली को स्वयं की तरफ करें, अंगूठा एवं अंगुलियों को एक साथ ऊपर की ओर करें, हाथ शिथिल एवं थोड़ा सा मुड़ा हुआ रहे।
___ बायें हाथ को मध्यभाग की ओर अभिमुख करें तथा अंगुलियों को मुट्ठी रूप में बाँधकर उनके
बलरामावतार मुद्रा ऊपरी पोरों पर अंगूठा रखने से बलरामवतार मुद्रा बनती है। लाभ
चक्र- मणिपुर, अनाहत एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- अग्नि, वायु एवं आकाश तत्त्व प्रन्थि- एड्रीनल, पैन्क्रियाज, थायमस एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- तैजस, आनंद एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग-यकृत, तिल्ली, आते, नाड़ी तंत्र, पाचन तंत्र, स्नायु तंत्र, निचला मस्तिष्क, हृदय, फेफड़ें, भुजाएं, रक्त संचरण तंत्र।