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भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य......291
12. दम्पति मुद्रा __यह मुद्रा सम्बन्ध दर्शाने वाली ग्यारह मुद्राओं में से एक है। इससे पतिपत्नी का सम्बन्ध प्रकट किया जाता है। विधि
इस मुद्रा में दायीं हथेली सामने की ओर अभिमुख रहे। तर्जनी, मध्यमा और अनामिका प्रथम एवं दूसरे जोड़ से मुड़ती हुई, अंगूठा ऊपर उठा हुआ एवं कनिष्ठिका भी ऊपर उठी हुई रहें।
___ बायां हाथ मध्य भाग में, अंगुलियाँ आदि मुट्ठी रूप में तथा अंगूठा ऊर्ध्व प्रसरित रहने पर दम्पति मुद्रा बनती है।12
दम्पति मुद्रा लाभ
चक्र- मूलाधार एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं जल तत्त्व ग्रन्थि- प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंगमेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव, मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग आदि।