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290... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन 11. भर्तार मुद्रा
सांसारिक रिश्तों में पति को भर्तार कहते हैं। इस मुद्रा के माध्यम से पति सम्बन्ध को दर्शाया जाता है। यह उन ग्यारह मुद्राओं में से एक है जो रिश्तों का प्रतिनिधित्व करती है। ___ यह संयुक्त मुद्रा नाटकों आदि में प्रयुक्त की जाती है। विधि
दायी हथेली को शरीर के मध्यभाग की ओर अभिमुख करें, अंगुलियों को हथेली के अंदर की ओर मोड़ें तथा अंगूठे को ऊपर की ओर उठायें।
बायीं हथेली को स्वयं की तरफ रखें। फिर अंगूठा और तर्जनी के प्रथम पोर को परस्पर स्पर्शित करें तथा मध्यमा, अनामिका और
भरि मुद्रा कनिष्ठिका अंगुलियों को अलग-अलग करके ऊपर की ओर सीधी रखने पर भर्तार मुद्रा बनती है। लाभ
चक्र- मणिपुर एवं अनाहत चक्र तत्त्व- अग्नि एवं वायु तत्त्व अन्थिएड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं थायमस ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं आनंद केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- यकृत, तिल्ली, आँते, नाड़ी तंत्र, पाचन तंत्र, हृदय, भुजाएं, फेफड़ें, रक्त संचरण तंत्र आदि।