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286... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन 7. श्वश्री मुद्रा ___श्वश्री अर्थात सास। यह सम्बन्ध दर्शाने वाली ग्यारह मुद्राओं में से एक है तथा इसके द्वारा सास के सम्बन्ध को दर्शाया जाता है।
नाट्य कला के समय इस मुद्रा को संयुक्त हाथों से करते हैं। विधि
दायी हथेली को ऊपर की तरफ रखें, अंगुलियाँ और अंगूठे को हल्के से पृथक करते हुए हथेली की तरफ मोड़ें तथा मध्यमा को सीधा रखे।
बायीं हथेली को उदर के निचले हिस्से पर रखते हुए अंगुलियाँ और अंगूठे को एक साथ मध्य भाग की तरफ फैलाने पर श्वश्री मुद्रा बनती है।
श्वररी मुद्रा लाभ
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं विशुद्धि चक्र तत्त्व- जल एवं वायु तत्त्व ग्रन्थिप्रजनन, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य एवं विशुद्धि केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, नाक, कान, गला, मुंह एवं स्वर यंत्र।