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282... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
3. मातृ मुद्रा
सम्बन्ध दर्शाने वाली ग्यारह मुद्राओं में से यह एक है। इस मुद्रा के द्वारा माता के सम्बन्ध दिखाये जाते हैं। इस मुद्रा के माध्यम से माँ के वात्सल्य, प्रेम
और ममता आदि की अभिव्यक्ति होती है अत: इसका नाम मातृ मुद्रा है। विधि
बायीं हथेली स्वयं की ओर, अंगुलियाँ एक साथ ऊपर उठी हुई और अंगूठा अंगुलियों से पृथक ऊर्ध्व प्रसरित
रहे।
दायीं हथेली ऊपर की ओर अभिमुख, अंगूठा
और अंगुलियाँ हल्के से अलग-अलग अन्दर मुड़ी हुई तथा मध्यमा अंगुली सीधी रहने पर मातृ मुद्रा बनती है।
मात मुद्रा लाभ
चक्र- मणिपुर एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- अग्नि एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थिएड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- यकृत, तिल्ली, आँते, नाड़ी संस्थान, पाचन संस्थान, स्नायुतंत्र एवं निचला मस्तिष्क।