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280... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
सम्बन्ध सूचक मुद्राएँ
सम्बन्ध सूचक 11 मुद्राओं का सामान्य स्वरूप इस प्रकार है1. ज्येष्ठ भ्रातृ मुद्रा
यह मुद्रा बड़े भाई का सम्बन्ध दर्शाने के लिए धारण की जाती है। नाटक आदि में इस मुद्रा का प्रयोग सम्बन्ध अभिव्यक्ति के निमित्त किया जाता है। विधि
दायीं हथेली को
बाहर की ओर अभिमुख करें, अंगूठा
और अनामिका के
अग्रभाग को परस्पर
संयुक्त करते हुए उन्हें बाहर की तरफ
बढ़ायें, तर्जनी और
मध्यमा को अलगअलग करते हुए ऊर्ध्व प्रसरित करें तथा कनिष्ठिका को हल्की सी झुकायें। बायीं हथेली को
स्वयं के अभिमुख मध्यभाग में रखें,
ज्येष्ठ
भ्रातृ मुद्रा
अंगूठा और अनामिका के अग्रभाग को स्पर्शित करते हुए उन्हें अन्दर की तरफ लायें, तर्जनी और मध्यमा को अलग करते हुए सीधी रखें तथा कनिष्ठिका को किंचित झुकाने से ज्येष्ठ भ्रातृ मुद्रा बनती है । 1
लाभ
आज्ञा एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- आकाश तत्त्व ग्रन्थि - पीयूष एवं पिनियल ग्रन्थि केन्द्र - दर्शन एवं ज्योति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - मस्तिष्क, स्नायु तंत्र, आँख।
चक्र
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