________________
भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य... ...279
95. श्वान मुद्रा
यह नाट्य मुद्रा अपने नाम के अनुसार पशुओं में कुत्ता की सूचक है। 96. भेरूण्ड मुद्रा
यह मुद्रा भेरूण्ड पक्षी की सूचक है और उसके जोड़े को दर्शाती है। निम्न चित्र में भेरूण्ड युग्म की प्रतिकृति परिलक्षित हो रही है इसलिए इसे भेरूण्ड मुद्रा कहा गया है। विधि
यह संयुक्त मुद्रा है। दोनों हथेलियों को शरीर के मध्य भाग में लाते हुए मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका अंगुलियों को हथेली की ओर मोड़ें, तदनन्तर अंगूठों के अग्रभाग को तर्जनी के अंतिम पोर पर स्थिर करें तथा तर्जनी को अंगूठों पर मुड़ी हुई रखने से भेरूण्ड मुद्रा बनती है।
भेरुण्ड मुद्रा इस मुद्रा में दोनों हाथ कलाई पर Cross करते हुए रहते हैं। लाभ
चक्र- विशुद्धि एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- वायु एवं जल तत्त्व ग्रन्थिथायरॉइड, पेराथायरॉइड एवं गोनाड्स केन्द्र- विशुद्धि एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- नाक, कान, गला, मुँह, स्वर यंत्र, मल-मूल अंग, गुर्दे एवं प्रजनन अंग।