________________
276... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
84. उलूक मुद्रा
यह नाट्य मुद्रा स्वनाम को सार्थक करती हुई पक्षी जगत में उल्लू नामक पक्षी को दर्शाती है। उल्लू एक निशाचर प्राणी है जो रात में देख सकता है पर दिन में नहीं। इसे शुभ शकुन के रूप में भी देखा जाता है।
यह मुद्रा दोनों हाथों में समान रूप से बनती है। विधि
दोनों हाथों को Cross कर हथेलियों को विरूद्ध दिशा में रखें, कनिष्ठिका और अंगूठे सीधे रहें, शेष अंगुलियाँ किंचित झुकी हुई तथा अंगूठे तर्जनी को स्पर्श करते हुए रहने पर उलूक मुद्रा बनती है।70
लाभ
उलूक मुद्रा चक्र- मूलाधार, स्वाधिष्ठान एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- पृथ्वी, जल एवं आकाश तत्त्व प्रन्थि- प्रजनन एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति, स्वास्थ्य एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मेरूदण्ड, गुर्दे, मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, निचला मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्र।