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भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य......275 83. उद्वेष्टि ताल-पद्म मुद्रा
उद्वेष्टि अर्थात घिरा हुआ। घिरी हुई वस्तु को हथेली तल से पकड़ने पर हाथ की अंगुलियाँ पद्म के समान बन जाती है अत: इसका नाम उद्वेष्टि तालपद्म मुद्रा है।
दर्शाये चित्र के अनुसार यह मुद्रा स्तनों एवं गेंद को पकड़ने के अर्थ का बोध करवाती है। विधि
इस मुद्रा में दोनों हथेलियाँ ऊपर की तरफ होकर कनिष्ठिका हथेली से 90° कोण की दूरी पर और अनामिका हथेली से 45° कोण की दूरी पर रहती है। दोनों हाथ छाती के पास होते हैं।69
लाभ
उद्वेष्टि ताल पद्म मुद्रा चक्र- विशुद्धि एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- वायु एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थिथायरॉइड, पेराथायरॉइड एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- विशुद्धि एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- कान, नाक, गला, मुँह, स्वर तंत्र, स्नायु तंत्र एवं आँख।