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भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य... ...273 81. ताल सिंह मुद्रा
दर्शाये चित्र में हथेली के तल से सिंह का प्रतिरूप व्यक्त होता दिखता है अत: यह मुद्रा गुण सम्पन्न नाम से युक्त है।
नाट्य कलाकारों के द्वारा इस मुद्रा को एक हाथ से किया जाता है। विधि ___बायीं हथेली को अधोमुख रखते हुए तर्जनी और कनिष्ठिका को ऊपर की तरफ करें, मध्यमा और अनामिका को हथेली के भीतर मोड़ें तथा अंगूठे का अग्रभाग मध्यमा और अनामिका के प्रथम पोर के उस पार रहने पर तालसिंह मुद्रा बनती है।67
ताल सिंत मुद्रा
लाभ
चक्र- आज्ञा, सहस्रार एवं मूलाधार चक्र तत्त्व- आकाश एवं पृथ्वी तत्त्व प्रन्थि- पीयूष, पिनियल एवं गोनाड्स केन्द्र- ज्योति, ज्ञान एवं शक्ति केन्द्र।