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272... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन 80. ताल पताका मुद्रा
जिस मुद्रा में हाथ के तल से पताका का स्वरूप दर्शाया जाता है उसे ताल पताका मुद्रा कहते हैं। हिन्दी कोश के अनुसार यह मुद्रा एक विशेष प्रकार के नृत्य की सूचक भी हो सकती है।
इस मुद्रा को नाटक आदि में एक हाथ से करते हैं। विधि
दायी हथेली को ऊपर उठाते हुए स्वयं की तरफ रखें, अंगुलियों और अंगूठे को शिथिल रूप से उर्ध्व प्रसरित करते हुए किंचित झुकाएं और कनिष्ठिका को सीधी रखने पर ताल पताका मुद्रा बनती है।66
ताल पताका मुद्रा लाभ __ चक्र- स्वाधिष्ठान एवं विशुद्धि चक्र तत्त्व- जल एवं वायु तत्त्व ग्रन्थिप्रजनन, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य एवं विशुद्धि केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, कान, नाक, गला, मुँह एवं स्वर तंत्र।