________________
भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य......267 75. शुक्र ग्रह
नाट्य कला की यह मुद्रा नौ ग्रहों से सम्बन्धित है। मुद्रा नाम के अनुसार इसे शुक्र ग्रह का सूचक माना गया है। यह संयुक्त मुद्रा दोनों हाथों में समान होती है। विधि
दोनों हथेलियों को मध्यभाग के सन्मुख रखते हुए अंगुलियों द्वारा मुट्ठी बनायें, फिर अंगूठों को अंगुलियों के पृष्ठ भाग के प्रथम पोर के ऊपर रखने पर शुक्र मुद्रा बनती है।
इसमें दायां हाथ नीचे की तरफ और बायां हाथ ऊपर की तरफ, इस प्रकार आमने-सामने रहेंगे।
लाभ
शुक्र ग्रह मुद्रा चक्र- मणिपुर एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- अग्नि एवं आकाश तत्त्व प्रन्थि- एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं पिनियल ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं ज्योति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- नाड़ी संस्थान, पाचन संस्थान, यकृत, तिल्ली, आँतें, ऊपरी मस्तिष्क एवं आंख।