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266... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
74. शुद्र मुद्रा
यह मुद्रा नाटक परम्परा की विशिष्ट मुद्राओं में से अनुसार यह चार जातियों में से शुद्र जाति की सूचक है। रचना निम्न प्रकार से होती है।
विधि
नाम
एक है। मुद्रा के इस संयुक्त मुद्रा की
दायीं हथेली बाहर की तरफ, तर्जनी और अंगूठा एक साथ ऊपर की तरफ फैले हुए तथा मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका हथेली में मुड़ी हुई रहें। बायीं हथेली मध्य भाग में, अंगुलियाँ मुट्ठी रूप में बंधी हुई और अंगूठा ऊपर की ओर सीधा रहने पर शुद्र मुद्रा बनती है। 60
लाभ
शुद्र मुद्रा
चक्र
मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व - अग्नि एवं जल तत्त्व ग्रन्थि - एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - नाड़ी संस्थान, पाचन संस्थान, यकृत, तिल्ली, आँतें, मल-मूत्र अंग एवं प्रजनन अंग ।