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भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य... ... 261
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सरस्वती
मुद्रा
यह मुद्रा सरस्वती नाम की प्रसिद्ध नदी की सूचक है। सामान्य धारणा के अनुसार गंगा, यमुना और सरस्वती ये तीनों नदियाँ सदा बहती रहती है इसलिए सर्वाधिक पवित्र मानी गई है।
इस मुद्रा में पताका मुद्रा और चतुर मुद्रा का सम्मिश्रित रूप है। विधि
दायीं हथेली छाती के स्तर पर स्वयं की तरफ, अंगुलियाँ और अंगूठा एक साथ ऊपर की तरफ फैले हुए एवं किंचित झुके हुए हों ।
बायीं हथेली ऊपर की तरफ फैली हुई, कनिष्ठिका हल्की सी अलग, अंगूठे का अग्रभाग अनामिका के निचले हिस्से पर रहने से सरस्वती मुद्रा बनती है। 55
सरस्वती मुद्रा
लाभ
चक्र - आज्ञा, विशुद्धि एवं मूलाधार चक्र तत्त्व- आकाश, वायु एवं पृथ्वी तत्त्व ग्रन्थि - पीयूष, थायरॉइड, पेराथायरॉइड एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- दर्शन,