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260... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
लाभ
मणिपुर एवं विशुद्धि चक्र तत्त्व - अग्नि एवं वायु तत्त्व ग्रन्थि - एड्रीनल, पैन्क्रियाज, थायरॉइड एवं पेराथायरॉइड ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं विशुद्धि केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - यकृत, तिल्ली, आँतें, नाड़ीतंत्र, पाचन तंत्र, स्वर तंत्र, नाक, कान, गला, मुँह ।
68. संकीर्ण मकर मुद्रा
चक्र
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यह नाट्य मुद्रा
सूअर (वराह) की सूचक है। इस मुद्रा को संयुक्त हाथों से
धारण करते हैं।
इसकी सामान्य विधि यह है
विधि
दोनों हथेलियाँ
नीचे की तरफ, अंगुलियाँ हल्की सी अलग की हुई एवं बाहर की ओर फैली हुई और अंगूठें अंगुलियों से 90° कोण पर रहें।
संकीर्ण मकर मुद्रा
तत्पश्चात दायीं हथेली को बाएं हाथ के पृष्ठ भाग पर रखने से संकीर्ण मुकुल मुद्रा बनती है।
इस मुद्रा में हाथों को कमर तक ऊँचा रखा जाता है। 54
लाभ
चक्र - अनाहत एवं आज्ञा चक्र तत्त्व - वायु एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थि - थायमस एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र - आनंद एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंगहृदय, फेफड़ें, भुजाएँ, रक्त संचार प्रणाली, निचला मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्र।