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भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य......259 प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, निचला मस्तिष्क एवं स्नायु तंत्र। 67. संकीर्ण मुद्रा
यहाँ संकीर्ण मुद्रा से तात्पर्य पशुओं से है। यह मुद्रा विशेषकर गाय की सूचक है। इस मुद्रा के द्वारा गाय जाति को दर्शाया जाता है। ___यह संयुक्त मुद्रा नाटक करते वक्त अधिक प्रयुक्त होती है। इसकी विधि निम्न है
विधि
___ दायीं हथेली नीचे की तरफ, अंगुलियाँ हल्की सी अलग की हुई एवं बाहर की तरफ फैलती हुई, मध्यमा हथेली तरफ झुकी हुई रहे, अंगूठा अंगुलियों से 90° कोण पर रहे। बायीं हथेली को भी इसी मुद्रा में बनायें। तदनन्तर दायें हाथ को बायें हाथ पर रखने से संकीर्ण मुद्रा बनती है।
यह मुद्रा कमर के स्तर पर करते हैं।53
संकीर्ण मुद्रा