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भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य......251 58. परदिष मुकुल मुद्रा
यह मुद्रा नाटक आदि में कलाकारों के द्वारा एक हाथ से धारण की जाती है। विधि
हथेली को बाहर की तरफ करते हुए तर्जनी, मध्यमा, अनामिका और अंगूठे के अग्रभागों को निकट में लायें, किन्तु परस्पर अस्पर्शित रखें तथा कनिष्ठिका को पृथक करते हुए हल्की सी झुकाने पर परदिष मुकुल मुद्रा बनती है।46
परदिष मुकुन मुद्रा लाभ
चक्र- अनाहत एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- वायु एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थिथायमस एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- आनन्द एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- हृदय, फेफड़ें, भुजाएं, रक्त संचरण तंत्र, स्नायु तंत्र एवं निचला मस्तिष्क।