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भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य......249 56. व्हलो मुद्रा ___ यह नाट्य मुद्रा संयुक्त मुद्रा के रूप में प्रयुक्त होती है। विद्वानों के अनुसार यह मुद्रा रीछ की सूचक है। विधि
दायी हथेली को बाहर की तरफ रखें, फिर अंगुलियों एवं अंगूठे को शिथिल रूप से ऊपर की ओर करते हुए किंचित झुकायें।
बायीं हथेली को नीचे की तरफ रखें। फिर अंगुलियों, और अंगूठे को पृथक्-पृथक् करते हुए कुछ भीतर की ओर मोड़ें।
तत्पश्चात दायीं हथेली की एड़ी को बायीं हथेली के पृष्ठ भाग पर रखने से व्हलो मुद्रा बनती है।14
लाभ
बलो मुद्रा चक्र- सहस्रार एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- आकाश तत्त्व ग्रन्थि- पीयूष एवं पिनियल ग्रन्थि केन्द्र- दर्शन एवं ज्योति केन्द्र विशेष प्रभावित अंगमस्तिष्क, स्नायु तंत्र, ऊपरी मस्तिष्क, आँख।