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248... नाट्य मुद्राओं का एक मनोवैज्ञानिक अनुशीलन
55. वायु मुद्रा ____ इस संयुक्त मुद्रा के द्वारा वायु देव को सूचित किया जाता है। विधि ..दायी हथेली सामने की तरफ रहें। अंगूठा, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका ऊपर की तरफ फैली हुई रहें और तर्जनी हथेली तरफ किंचित मुड़ी हुई रहे।
बायीं हथेली भी सामने की तरफ रहें, तर्जनी, मध्यमा और अंगूठा ऊपर की तरफ फैले हुए रहें तथा अनामिका और कनिष्ठिका हथेली के भीतर मुड़ी हुई रहने पर वायु मुद्रा बनती है।
इस मुद्रा में दोनों हाथ कंधों के स्तर पर धारण किये जाते हैं।43
लाभ
वायु मुद्रा चक्र- अनाहत एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- वायु एवं जल तत्त्व प्रन्थि- थायमस एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- आनंद एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- हृदय, फेफड़ें, भुजाएँ, रक्त संचरण प्रणाली, मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे।