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भारतीय परम्परा में प्रचलित मुद्राओं की विधि एवं उद्देश्य......243 50. मध्य पताका मुद्रा
मुद्रा स्वरूप के अनुसार इस मुद्रा में बीच की तीन अंगुलियों के द्वारा पताका दर्शायी जाती है अत: इसका नाम मध्य पताका है।
यह नाट्य मुद्रा दोनों हाथों से बनाई जाती है। विधि
दोनों हथेलियों को ऊपर उठाकर सामने की ओर करें। फिर तर्जनी, मध्यमा, अनामिका और अंगूठों को ऊर्ध्व प्रसरित करें और किंचित झुकायें तथा कनिष्ठिका को हथेली के भीतर मोड़ने पर मध्य पताका मुद्रा बनती है।38
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मध्य पताका मुद्रा 51. मन्मथ मुद्रा
मन्मथ शब्द का एक अर्थ है कामदेव। विद्वज्ञों के अनुसार यह मुद्रा कामदेव की सूचक है। कामदेव रति पति है और इन्हें रति या काम का देव माना गया है।